Short Moral Stories In Hindi
नमस्कार दोस्तों
आज में आपको 2 Short Moral Stories In Hindi बताऊंगा आशा करता हूँ आपको दोनों कहानी पसंद आयेंगी, साथ ही आपको ये कहानियां कुछ सिखने में ही मदद करेंगी |
दया का दीपक दिखाते रहे
एक बार एक कमजोर बूढी औरत थी, जिसका पति मर जाता है, इसीलिए वो अपने बेटे उसकी पत्नी और उनकी एक छोटी बेटी के घर रहने चली जाती है |
हर दिन उस बूढी माँ की देखने और सुनने शक्ति कम होती जाती है, और जब भी वो खाना खाती तो उसके हाथ से खाना गिर जाता, क्योंकि उसके हाथ कपकंपाते थे |
इस पर उसका बेटा और बहु दोनों बहुत गुस्सा होते लेकिन उसकी कोई मदद नहीं करते थे, जब ऐसा रोज़ होने लगा तो एक दिन दोनों ने बोला की अब बस बहुत हुआ |
और फिर दोनों ने उस बूढी माँ के लिए झाड़ू के बगल के एक टेबल लगा दी ताकि उसकी माँ वंहा पर बैठ कर खाना खा सके, जब भी खाने का वक़्त होता उसकी माँ रोते हुए दोनों को देखती लेकिन उसका बेटा और बहु बहुत कम ही उससे बात करते थे |
जब भी उसके हाथ से चम्मच गिरती थी, सिर्फ उसको डाँटते रहते थे |
एक शाम खाना खाने से पहले उनकी छोटी बेटी निचे ज़मीन पर अपने बिल्डिंग ब्लॉक्स के साथ खेल रही थी |
उसके पापा ने बड़ी उत्सिकता से पूछा “बेटी क्या कर रही हो” ?
उस छोटी लड़की ने मासूमियत से कहा, में एक टेबल बना रही हूँ आपके और मम्मी के लिए ताकि जा में बड़ी हो जाउंगी आप दोनों बैठ कर एक कोने में खाना खा सको,
ये सुन कर माता-पिता दोनों शांत हो गये ऐसा लग रहा था जैसे कमरे में सन्नाटा हो गया हो, उसके कुछ देर बाद दोनों फुट फुट कर रोने लगे |
उसके बाद दोनों अपने द्वारा किये गये घटिया और बहुत ही दुखित कार्य को समझ गये थे, फिर उस शाम को दोनों ने अपनी माँ को टेबल पर अपने साथ बैठाया और सब ने मिलकर खाना खाया |
अब जब भी उसकी बूढी माँ खाना गिराती तो उनको कोई भी फर्क नहीं पड़ता था, सब चुपचाप अपना अपना खाना खाते और बाद में साफ कर दिया करते थे |
इस कहानी में माता-पिता कोई बुरे इंसान नहीं थे, लेकिन कोई चाहिए था जो उनके द्वारा किये गये दयाहीन काम को दया की रौशनी दिखा सके |
हमें भी रोज़ कोई ना कोई दया से भरा काम करना चाहिए जो दुसरे लोगो के मन में भरी दया को उजागर कर सके |
आशा करता हूँ आपको ये short moral stories in Hindi पसंद आई होगी |
Short Moral Stories In Hindi
बिना जाने न्याय ना करें
स्टीफन एक restaurant में बैठ कर खाना खा रहा था, और बाकि सब भी, तभी वंहा एक पिता और उसके 2 छोटे बच्चे अन्दर आते है |
अन्दर आते ही दोनों यंहा वंहा खेलने लग जाते है, शौर मचाने लगते है, लेकिन उनका पिता बहुत शांति से एक टेबल पर आकर बैठ जाता है, और अपना सिर निचे कर लेता है |
इससे बाकि लोग जो बैठ कर खाना खा रहे थे, बहुत गुस्सा होते है और मन में सोचते है की कैसा पिता है अपने बच्चो को डांट भी नहीं रहा है |
जब बच्चे नहीं मानते और खेलते और शौर मचाते रहते है तो स्टीफन उठता है और पिता से पूछता है, भाई तुम कैसे पिता हो यंहा पर आकर आराम से बैठ गये हो, लेकिन अपने बच्चो को डांट भी नहीं रहे हो, क्या तुम्हे नहीं दिखता की तुम्हारे बच्चे वंहा यंहा खेल रहे है और सबको तंग कर रहे है |
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तब पिता जिसने अपना सिर निचे किया होता है, धीरे से बोलता है अरे हाँ मुझे कुछ कहना चाहिए लेकिन मुझे समझ नहीं रहा की मैं क्या कहूँ, दरसल अभी में और मेरे बच्चे अस्पताल से आ रहे है |
अभी एक घंटे पहले ही मेरी बीवी की मृत्यु हो गयी है, मेरे बच्चे इतने छोटे है की उनको नहीं पता क्या हुआ है, मुझे माफ़ करना मेरी वजह से आपको तकलीफ हुई |
ये सुनकर स्टीफन को बहुत बुरा लगा, अब तक जो स्टीफन कुछ देर पहले गुस्सा था अब बिलकुल शांत हो गया था और उसके मन में उस पिता के लिए सांत्वना पैदा हो गयी थी |
और वो मन में सोचने लगा की मैंने बिना जाने ही इस व्यक्ति और बच्चे के बारे में गलत सोच लिया था |
आशा करता हूँ आपको ये short moral stories in Hindi पसंद आई होगी |