12th fail किताब
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यह किताब अनुराग पाठक ने लिखी है, यह एक सच्ची कहानी है जिसमे मनोज शर्मा जो बारहवी कक्षा में fail होने के बावजूद, आईपीएस बनने का सपना देखता है
कैसे मनोज अपनी गरीबी और किस्मत से लड़ा और कैसे इतनी ज्यादा बार fail होने के बावजूद हार नहीं मानी बल्कि उससे लड़ा और कैसे उसने इस पुरे सफ़र को तय किया, यह किताब हमे उसी के बारे में बताती है |
बारहवीं कक्षा
यह कहानी शुरू होती है मध्यप्रदेश के एक छोटे से गाँव बिलग्राम से जिसमे मनोज शर्मा रहता था, उसका एक दोस्त है जिसका नाम है विष्णु और वो पढने में बहुत होशियार है और हमेशा कक्षा में first आता है | इसलिए विष्णु के पापा पुरे गाँव अपने बेटे की तारीफ़ करते नहीं थकते है और साथ ही मनोज को टोंट मारते भी नहीं थकते |
मनोज को अपनी तारीफ़ सुनना बहुत पसंद होता है इसलिए हमेशा अपनी छत के ऊपर जाके जोर जोर से गणित के formulas बोलता है और सवाल दोहराता है ताकि पास पडोश वाले उसको सुने और बोले देखो मनोज कितना ज्यादा पढता है |
उनके विद्यालय में हमेशा cheating होती है और ज्यादातार बच्चे cheating के भरोसे ही पास होते थे और मनोज भी उनमे से एक था, बारहवी कक्षा का पहला ही पेपर गणित का होता है मनोज और विष्णु पेपर देने जाते है, मनोज को लगता है स्कूल में cheating होगी और पास हो जायेगे |
पेपर शुरू होता है, और हर बार की तरह अध्यापक आ जाते है ब्लैक बोर्ड पर सवालों के उत्तर देने, लेकिन तभी वंहा के SDM साहब आ जाते है जिनका नाम दुष्यन्त सिंह है और सबकी cheating रुकवा देते है |
मनोज की आशाओं पे पानी फिर जाता है और वो बाकी बचे सारे पेपर में वो cheating नहीं कर पाता है |
क्रिकेट मैच
अभी बारहवी कक्षा का result नहीं आया है उसी बीच,
गाँव में एक क्रिकेट मैच का टूर्नामेंट होता है, जिसमे chief guest के तौर पर वोही SDM साहब दुष्यन्त सिंह आये होते है | टीम का हिस्सा बनने के लिए हर किसी को 10-10 रूपए देने होते है
मनोज के परिवार में उसका एक बड़ा भाई है, उसकी एक छोटी बहन है और माता-पिता है, पिता जी अपने काम से ज्यादातर suspend ही रहते है क्योंकि उनकी हमेशा अपने अफसर से लड़ाई हो जाती है और उनकी कभी नहीं बनती है |
मनोज के 10 रूपए मांगने पर उसे पैसे नहीं मिलते है और वो मैच में हिस्सा नहीं ले पाता है, लेकिन मैच में commantry जरुर करता है उसकी commanty सुनकर दुष्यन्त सिंह काफी प्रभावित होते है और मनोज की तारीफ़ करते है जिसे सुनकर वो काफी ज्यादा खुश होता है |
result का दिन
मनोज के चाचा जी भागते भागते घर पर आते है और मनोज के पापा जी से बोलते है मनोज 12th fail (फ़ैल) हो गया है, मनोज के पापा बिलकुल भी ध्यान नहीं देते है और बोलते है कोई बात नहीं अगले साल पास हो जायेगा, चाचा थोडा और मार्च मसाला लगा के बोलते है अरे सारे subject में फ़ैल गया है सिर्फ हिंदी में पास हुआ है |
इधर मनोज को पता चलता है की वो फ़ैल हो गया है बहुत ज्यादा उदास होता है, मनोज को हमेशा दुसरो की मदद करने में ख़ुशी मिलती थी इसलिए कुएं पर पानी निकाल रही कुछ महिलाओं की वो मदद कर रह था |
महिलाये मनोज से बोलती है बेटा खुश रह और भगवान करे इस बार अच्छे नंबर से पास हो जाये, इतने में वंहा विष्णु और मनोज के चाचा आ जाते है और कहते है अरे अच्छे नंबर तो छोड़ो ये तो पास भी नहीं हो पाया है |
वंहा मनोज की बहुत बेज्जती होती है और वो बहुत उदास होता है | खैर अभी तो आगे बहुत कुछ बाकी था |
टेम्पो
मनोज का बड़ा भाई घर पर आ कर बोलता है की उसको टेम्पो चलाना है टेम्पो चलाने में अच्छी कमाई है, पापा से पैसे मांगता है लेकिन पापा जी मना कर देते है और चले जाते है लेकिन उसकी माता जी अपने गहने बेच देती है और दोनों उधार पर टेम्पो खरीद लेते है |
मनोज पढाई छोड़ देता है और टेम्पो चलाना शुरू कर देता है, दोनों भाई मिलकर टेम्पो चलाते है |
कुछ कमाई होने लगती है रोज़ दोनों कमा कर लाते है और माता जी को देते है |
लेकिन एक दिन अचानक उनका टेम्पो और उन दोनों को वंहा के पुलिस थाने का थानेदार थाने में बुलवाता है और बोलता है तुम लोगो ने एक व्यक्ति को टक्कर मार दी है उसने तुम्हारी शिकायत करी है, दोनों बड़े हैरान होते है क्योंकि उन्होंने तो किसी को टक्कर मारी ही नहीं थी |
फिर वंहा एक व्यक्ति आता है जिसका नाम दिनेश है और रट्टू तोते की तरह बोलता है “में सड़क पर जा रहा था और पीछे से दोनों के टेम्पो ने मुझे टक्कर मार दी” |
रात भर दोनों को जेल में बंद रखता है और दोनों रात भर बैठ कर रोते रहते है, फिर सुबह दोनों को छोड़ देता है, और बोलता है निकल जाओ यंहा से बहुत तेजी में, वंहा से घर करीब 10 किलोमीटर दूर था |
दोनों पैदल घर जाते है माताजी को सारी बात बताते है, मनोज माँ के गले से फुट फुट के रोता है, माताजी बहुत ज्यादा दुखी होती है |
turning point
मनोज बोलता है हम SDM साहब के पास चलेंगे और उनसे जाकर बात करेंगे वैसे भी टेम्पो तो अब हमे कोर्ट से ही छुड़वाना पड़ेगा क्यों ना जाकर एक बारी SDM साहब से बात करें |
वंहा दोनों पहुँचते है और और उन्हें एक पर्ची मिलती उसमे लिखना होता है क्या सिकायत है आपकी, लेकिन मनोज को ये लगता है अगर SDM साहब को ये बता दिया की मैंने पढाई छोड़ दी है और अब टेम्पो चलाता हूँ तो बेज्जती हो जाएगी |
मनोज पर्ची पर लिख देता है की पढाई के बारे में कुछ बात करनी है | दोनों अन्दर पहुँचते है |
मनोज की बारी आने से पहले वंहा एक व्यक्ति खड़ा है और उसके सामने वही थानेदार खड़ा है और दिनेश खड़ा है जिसने मनोज और उसके भाई को फसाया था |
दिनेश फिर से रट्टू तोते की तरह बोलता है “में रास्ते में जा रहा था और इस व्यक्ति में मुझे गोली मारने की कोशिश की थी” मनोज समझ जाता है दोनों मिले हुए है | और मन में सोचता है बेचारा ये व्यक्ति अब फस जायेगा |
लेकिन SDM साहब समझ जातें है की दिनेश झूट बोल रहा है | और कहते है दिनेश तुम्हे ये सब कहने के कितने रूपए मिलते है दोनों समझ जाते है की उनकी चोरी पकड़ी गयी, ये सुनकर मनोज बहुत ज्यादा हैरान हो जाता है और मन में सोचता है दुनिया में सब बेईमान नहीं है |
जब मनोज के बारी आती है तो मनोज अपनी टेम्पो की बात तो नहीं करता बल्कि पूछता है सर SDM ( डिप्टी कलक्टर ) बनाने के लिए क्या करना पड़ता है | दुष्यन्त सिंह use बताते है की तुम्हे एक एग्जाम पास करना होगा, फिर मनोज में ठान लेता है की उसे अब SDM ही बनाना है |
ग्वालिअर
जब गाँव में जाकर ये बात बताता है तो विष्णु उस पर हसता है और कहता है बारहवी कक्षा तो पास तो नहीं तुझसे और तू डिप्टी कलेक्टर बनेगा वंही मनोज का एक दोस्त खड़ा होता है जिसका नाम राकेश है और वो बोलता है तो क्या हुआ कलेक्टर इंसान ही बनते है ना बन जायेगा ये भी, राकेश हमेशा मनोज को उत्साहित करता रहता था |
मनोज माताजी से 2000 रुपे लेकर ग्वालियर आ जाता है अपना कॉलेज पूरा करने, वंहा उसके चाचा जी के बेटा त्रिलोक और उसका एक दोस्त केशव पहले से पढ़ रहे होते है और एक कमरे में सिर्फ एक दो ही लोग रहा करते थे लेकिन अब 3 हो गये और ये बात केशव को पसंद नहीं आती थी |
एक दिन त्रिलोक अपने गाँव चला जाता है और पीछे से कमरे को बंद करके केशव भी गाँव चला जाता है मनोज को बिना बताये, मनोज कमरे पर आता है उसको कमरा बंद मिलता है सोचता से शायद केशव कही गया होगा आ जायेगा थोड़ी देर में |
लेकिन केशव नहीं आता है दो दिन तक मनोज बाहर भटकता रहता है उसके पास सिर्फ 20 रुपे होते है जिनसे वो एक दिन तो छोले भठूरे खा लेता है | अब तीसरा दिन भी हो जाता है मनोज तीन दिन तक भूखा रहता है, आँखों के निचे काले धब्बे पड़ जाते है बिलकुल मरियल सा हो जाता है |
वंही सामने एक ढाबा होता है जहाँ मनोज जाकर एक बोलता है आप मुझे कुछ खाने को दे दीजिये में उसके बदले आपके ढाबे पर बर्तन धो दूंगा | ढाबे के मालिक को दया आती है और उसे खाना देता है | फिर मनोज वंहा के बर्तन धोता है |
वंहा मनोज अपना कॉलेज पूरा करता है फिर अब उसका SDM बनाने का सपना लेकर चला आता है पीलीकोठी जंहा सब लोग PCS की तैयारी करते है, लेकिन मनोज के पास इतने पैसे नहीं होते है की पिली कोठी में पढ़े |
मनोज को एक लाइब्रेरी में काम मिल जाता है साथ ही वंही बैठ कर वो किताब भी पढता रहता है वंही एक दिन उसके माता-पिता वंहा आते है और देखते है कैसे रह रहा है मनोज उसकी माता जी बोलती है पिता जी से देखो कैसे रह रहा है हमारा बेटा इतनी तकलीफ में कुछ पैसे तो दे दो |
पिताजी बोलते है मेरे पास नहीं है लेकिन माँ अपने पास से मनोज को 100 रूपए देती है |
लाइब्रेरी में मनोज के ऊपर के पैसे रखने का आरोप लगता है जबकि उसने ऐसा कुछ नहीं किआ था इसलिए मनोज वंहा से काम छोड़ देता है |
मनोज अब एक गेहूं पिसने की आटा चक्की में काम करने लगता है कुछ समय बाद पाण्डेय जी वंहा आते है और मनोज को देख कर उसपर बड़ी दया आती है और कहते है चल तू अब मेरे साथ पीलीकोठी वंहा चल कर तैयारी करना |
पीलीकोठी में एक लड़की अंशु जी होती है जो मनोज को अपना छोटा भाई जैसा मानती थी उसने PCS का एग्जाम भी clear किआ हुआ था |
उस साल PCS की परीक्षा cancel हो जाती है इसलिए वही लड़की मनोज और पाण्डेय जी को 10,000 रूपए देती है और कहती है तुम दोनों जा कर दिल्ली में UPSC की तैयारी करो |
दिल्ली
अब मनोज आ जाता है दिल्ली के मुखर्जी नगर में आईएस की तैयारी करने के लिए, यंहा पर आकर मनोज हिंदी की कोचिंग शुरू कर देता है पर पाण्डेय जी नहीं करते है क्योंकि वो अपने आप को हिंदी का बहुत बड़ा विद्वान समझते थे |
कोचिंग में टेस्ट होता है जिसने में मनोज फर्स्ट आता है जिससे क्लास की सब लड़कियां मनोज से प्रभावित हो जाती है और कहती है तुम तो जरुर आईएस बनोगे |
तभी मनोज कोचिंग से बाहर आ रहा होता है उसकी लड़की दिखती है जिसका नाम श्रद्धा होता है उसको देख कर मनोज को उससे पहली नजर में ही प्यार हो जाता है|
रोज़ दोनों बात करते है मिलते है लेकिन मनोज कभी श्रद्धा को बताता नहीं है की वो उससे प्यार करता है और पाण्डेय जी हमेशा उससे बोलते रहते है की मनोज यंहा तैयारी करने आये हो या प्यार करने लेकिन मनोज उसकी बात पर ध्यान नहीं देता है |
उसी बीच मनोज का प्री एग्जाम clear हो गया था, एक दिन पाण्डेय जी श्रद्धा को बता दिया की मनोज बारहवी फ़ैल है, मनोज लगा अब श्रद्धा उससे बात नहीं करेगी लेकिन श्रद्धा कहती है अरे कोई बात नहीं ऐसा तो होता रहता है |
पाण्डेय जी english की कोचिंग शुरू कर देते है और वंहा उन्हें भी एक लड़की से प्यार हो जाता है अब तक जो मनोज को प्यार करने के लिए खरी खोटी सुनाते थे अब पाण्डेय जी को प्यार को लेकर सोच बदल गयी थी |
श्रद्धा अपने गाँव अल्मोड़ा चली जाती है आगे अपनी पढाई के लिए, मनोज का मैन्स एग्जाम होता है, english के एग्जाम में मनोज एक सवाल गलत कर के आ जाता है, फिर बाकि एक्जाम्स भी नहीं देता है और उसका मैन्स clear नहीं हो पाता है |
मनोज को श्रद्धा की बहुत ज्यादा याद आती है रोज़ सुबह शाम बस उसी को याद करता रहता था, तो पाण्डेय जी कहता है अगर इतनी याद आ रही तो चला जा अल्मोड़ा मिल आ एक बारी |
दिल्ली से अल्मोड़ा
मनोज ने सोच लिया था वो अब अल्मोड़ा जाकर श्रद्धा को अपने दिल की बात बता देगा, फिर मनोज पहुँचता है श्रद्धा के घर श्रद्धा की माताजी से बात करता है और श्रद्धा के बारे में पूछता है
माताजी बताती है श्रद्धा तो हरिद्वार गयी हुई है अपनी पढाई के लिए तो मनोज उसकी मम्मी से डरते हुए श्रद्धा का फ़ोन नंबर मांग ही लेता है और जाकर श्रद्धा को फ़ोन करता है |
श्रद्धा के हॉस्टल में फ़ोन लगाता है उधर में श्रद्धा फ़ोन उठाती है मनोज बोलता है में मनोज बोल रहा हूँ श्रद्धा अरे मनोज तुम कैसे हो, फिर मनोज में अपनी सारी फीलिंग श्रद्धा को बता दी |
ये सुनकर श्रद्धा बोली तुम पागल हो गये हो क्या मुझे लगता था तुम एक पढाई करने वाले अच्छे इंसान हो और ये बोलकर फ़ोन काट दिया, ये सुनते ही मानो मनोज की पूरी दुनिया ही उजड़ गयी हो वो फ़ोन रख कर जैसे ही मुड़ा और बाहर जाने लगा |
फ़ोन वाला बोला मनोज तुम हो क्या मनोज बोला हाँ में हूँ वो बोला तुम्हारे लिए फ़ोन है उधर श्रद्धा थी और बोली देखो तुम अभी अपनी पढाई पर ध्यान दो, में कुछ समय बाद दिल्ली ही आयुंगी और साथ ही उसने पूछा की तुम्हारे मैन्स एग्जाम का क्या हुआ |
मनोज ने बताया उसका नहीं हुआ श्रद्धा बोली कोई बात नहीं तुम अभी अपनी पढ़ाई पर focus करो हालाँकि मनोज का दिल तो टूट गया था लेकिन जैसे तैसे करके वो फिर से दिल्ली आया |
पाण्डेय जी का प्यार
एक दिन पाण्डेय जी जिससे प्यार करते थे योगिता ने पाण्डेय जी को और उसके दोस्तों को अपनी पार्टी में बुलाया | वंहा पाण्डेय का एक दोस्त अविनाश भी जाता है और देखते है योगिता एक लड़के के साथ बहुत हस हस के बार कर रही है |
अविनाश बोलता है देखो पाण्डेय जी जिसको तुम प्यार करते हो कैसे उस लड़के से कैसे चिपक चिपक के बात कर रही है मुझे लगता है योगिता उस लड़के से प्यार करती है और, पाण्डेय जी बोलता है चल बे ऐसा कुछ नहीं है |
वो लड़का इंग्लैंड में सॉफ्टवेर इंजिनियर था तो मनोज ने योगिता से पूछा इंग्लैंड जाकर हमे भूल मत जाना तो योगिता बोली नहीं भूलूंगी ये सुनकर बात बिलकुल confirm हो गयी की योगिता उसी लड़की से प्यार करती है |
पाण्डेय जी का दिल टूट गया और पूरी रात पाण्डेय जी फुट फुट के रोये और d.j. पर गाना चल रहा था कमबक्त इश्क है जो |
इस बीच श्रद्धा भी आ गयी थी दिल्ली और अब मनोज और श्रद्धा दोनों मिलते बात करते और घूमते थे साथ में |
अब धीरे धीरे पाण्डेय जी मनोज से छिड़ने लगे की मेरा तो दिल टूट गया और ये श्रद्धा के साथ कैसे हस हस बात करता है उसके साथ घूमता है |
तो पांडये जी ने एक दिन मनोज को बोल दिया की या तो तू श्रद्धा को चुन ले या मुझ को, मनोज तो श्रद्धा से बहुत प्यार करता था, मनोज ने बोल दिया की में श्रद्धा को नहीं छोड़ सकता हूँ तो इसलिए पाण्डेय जी ने कमरा खाली कर दिया |
अजीब काम
अब मनोज को कमरे का पूरा किराया खुद ही देना होता था इसलिए मनोज कुत्तों को घुमाने का काम शुरू कर देता है, उससे उसे 500 रूपए कमाने लगा जिससे वो कमरे का किराया भी दे सके |
मनोज का पहले, दुसरे , और तीसरे attempt में एग्जाम clear नहीं हुआ था और अब उसके पास सिर्फ एक ही मोका बचा था |
इस बीच मनोज अपने गाँव गया जहाँ उसे विष्णु और बाकि लोगो ने बहुत टोंट कसे और बोले 6 साल से तैयारी कर रहे हो क्या हुआ बन गये कलेक्टर, लेकिन उसका वही बचपन का दोस्त राकेश ने बोला कोई बात नहीं मनोज होसला रखो तुम जरुर कामयाब हो जाओगे |
फिर मनोज दुबारा दिल्ली आता है इसी बीच उनमे से अविनाश का PCS clear हो जाता है और वो एक पार्टी रखता है जिसमे वो सबको बुलाता है उस पार्टी में पाण्डेय जी भी आते है |
इस बीच श्रद्धा भी मनोज से बहुत ज्यादा प्यार करने लगती है लेकिन श्रद्धा भी मनोज को बताती नहीं है की वो उससे प्यार करने लग गयी है |
वंहा पार्टी में पाण्डेय को अच्छा मौका मिल गया , मनोज और श्रद्धा की बहुत बेज्जती करने के लिए, पाण्डेय ने जी भर के मनोज की बेज्जती की और बोला पहले ही बोला था ना की पढ़ लो और तुम तुम प्यार में पढ़ गये, तीन attempt निकल गये और तीनो में तुम fail हो गये |
ये बात श्रद्धा को बहुत बुरी लगी उसकी आँखों में आंसू आ गये और वो पार्टी छोड़ के चली गयी और मनोज भी चला गया , अविनाश ने पाण्डेय को बहुत डांटा लेकिन पाण्डेय को कोई फरक नहीं पड़ा वो तो आराम से अपना चाऊमीन और मंचूरियन खाता रहा |
बाहर जा कर श्रद्धा मनोज को बोली तुम्हे मैंने सो बार कहा है पढाई पे ध्यान लगाओ लेकिन तुम हो की मेरी सुनते ही नहीं हो, अब तुम्हारे चक्कर मेरी भी बेज्जती होती है |
मनोज ने कहा क्या में पूरी ज़िन्दगी सिर्फ अपमानित होने के लिए बना हूँ, श्रद्धा ने कहा नहीं ऐसा नहीं मनोज सिर्फ तुम अपनी पढाई पे ध्यान लगाओ और तुम कह रहे थे ना की अगर में तुमसे प्यार करने लागु तो तुम पूरी दुनिया उलट पुलट कर दोगे |
लो में तुमसे आज कहती हूँ में तुमसे बहुत ज्यादा प्यार करती हूँ अब उलट पुलट कर दो ये दुनिया | इस सुनकर मनोज जैसे सन्न सा रह जाता है और अब बस ठान लेता है की अब उसको IAS clear करना है |
स्टॉप वाच
मनोज भागकर अविनाश के पास पहुंचा और उससे पूछा तुमने PCS कैसे clear किया मुझे तुम बताओ, तो अविनाश ने बताया तुम हमेशा पढाई स्टॉप वाच लगा कर करो इससे तुम्हे पता चलेगा की तुम वाकई कितनी देर पढाई कर रहे हो |
फिर मनोज ने बहुत ज्यादा मेहनत करी दिन रात पढाई की पहले उसने प्री clear किया उसके बाद मैन्स clear किआ और अब आई इंटरव्यू की बारी |
मनोज ने हिंदी से किआ था लेकिन english वाले विद्यार्थियो को ज्यादा सराहा जाता था तो इंटरव्यू में उससे पूछा गया तुम्हे तो english आती नहीं कैसे करोगे |
मनोज ने बोला सर मुझे पानी पीना है, सर ने बोला सामने रखा है पी लो, मनोज ने बोला नहीं सर मुझे पीतल के गिलास में पानी पीना है कांच के नहीं सर ने बोला अरे ये क्या बात है पानी तो पानी होता है |
मनोज ने बोला में यही कहना चाहता हूँ सर मुझे जो काम मिलेगा उससे निभाना है बस चाहे हिंदी में करू या english में ये बात सुन कर वंहा बैठे लोग मनोज के दिए हुए उदाहरण से काफी प्रभावित हुए |
result का दिन
अब result का दिन था मनोज और श्रद्धा दोनों result देखने गये वंहा काफी भीड़ होने की वजह से सिपाही ने सब को खदेड़ दिया साथ ही मनोज को भी थक्का देकर अलग कर दिया |
डर की वजह से मनोज ने result नहीं देखा तो श्रद्धा result देखने गयी और आकर मनोज से चीखते बोली मनोज तुम आईपीएस बन गये |
वंहा खड़े सिपाही ने पूछा मनोज से क्या रहा result का मनोज बोला आईपीएस बन गया सिपाही ने यह सुनकर मनोज को तुरंत सलूट किआ |
मनोज हैरान हो गया और सोचा एक result ने उसकी सारी दुनिया ही बदल दी है | फिर मनोज और श्रद्धा दोनों वंहा से चले गये |
12th fail किताब का moral
मनोज ने हमे सिखा दिया की चाहें परिस्थितियां कितनी ही बेकार हो लेकर अगर आप किसी चीज को करने का ठान लो तो कुछ भी असंभव नहीं उसका लाइब्रेरी में काम करना आटे की चक्की में काम, बर्तन धोना, कुत्तो को टहलाने का काम करना हमे यही सिखाता है की “हारा वही जो लड़ा नहीं”
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आशा करता हूँ आपको ये book summary जरुर पसंद आई होगी…अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करें……धन्यवाद !
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This is really a life changing story.