7 habits of highly effective people In Hindi किताब Stephen Covey ने 1989 में लिखी थी, इस किताब में Stephen हमें उन 7 आदतों के बारे में बताते है, जो Successful लोग अपनी ज़िन्दगी में रोज़ इस्तेमाल करते है, वो कैसे दुनिया को देखते है और कैसे अपनी परेशानियों को सुलझाते है |
आदत ही है जो आपको बनाती है, आज हम जो कुछ भी है, पिछले दिनों की, की गयी आदतों की वजह से है इसलिए अपने जीवन में आदतों को सुधारना बहुत ही जरुरी है |
इस किताब को Stephen ने तीन भागों में बांटा है
- व्यक्तिगत जीत ( इसमें तीन आदत है )
- सार्वजानिक (Public) जीत ( इसमें 3 आदत है )
- सारी आदतों को निखारना ( इसमें एक आदत है )
7 habits of highly effective people in hindi
Table of Contents
Inside-Out ( अन्दर से बाहर की तरफ )
अगर हमे जीवन में सफल बनना है तो हमें अन्दर से बाहर की तरफ जाना होगा, कहना का मतलब है पहले हमे खुद को बदलना होगा ना की दुसरो को |
दो प्रकार के तौर तरीके (Ethics) होते है, व्यक्तित्व ethics और चरित्र ethics |
व्यक्तित्व ethics वाला इंसान हमेशा दुसरो को judge करता रहता है, दुसरो को सही करता रहता है, दुसरो में कमिया निकालता रहता है, वही दूसरी तरफ चरित्र ethics वाला इंसान हमेशा खुद को सही करता है, दुसरो को judge नहीं करता है, अपनी गलती के लिए दुसरो को कोसता नहीं रहता है |
मानसिकता
बचपन से हमने अपने अन्दर कुछ ना कुछ मानसिकता बनाई होती है चाहे फिर वो सही हो भी या ना भी, उदाहरण के लिए मैं जब भी अपनी मम्मी में 3 रोटी मांगता हूँ तो वो हमेशा छोटा सा टुकड़ा उसमे में काट कर देती है और जब में पूछता हूँ ऐसा क्यूँ किआ तो माता जी बोलती है 3 रोटी देना सही नहीं होता है | ऐसे ही छींकना, बिल्ली का रास्ता काटना, और ना जाने क्या क्या |
एक दिन Stephen एक restaurant (भोजनालय) में बैठे हुए थे, वंहा काफी शान्ति थी सब लोग बड़े आराम से अपना अपना खाना खा रहे थे, अचानक वंहा 2 बच्चे और उनके पिता अन्दर आते है |
बच्चे जैसे ही अन्दर आते है सब जगह शौर मचाना शुरू कर देते है कभी यंहा भाग रहे कभी वंहा भाग रहे है, लेकिन उनका पिता आराम से आकर एक टेबल पर सर झुका कर बैठ जाता है और अपने बच्चों को कुछ नहीं बोलता है |
ये सब देखकर Stephen को बहुत गुस्सा आता है और मन में सोचता है कैसा पिता है अपने बच्चो तक को नहीं संभाल सकता है, आराम से बैठा हुआ है और बच्चे इतना शौर मचा रहे है |
जब बच्चे कुछ ज्यादा ही शौर मचाने लगे और सब लोगो को गुस्सा आने लगा तो आखिरकार Stephen ने उस आदमी से पूछ ही लिया की भाई आपके बच्चे यंहा वंहा खेल रहे है, क्या अपने बच्चो को चुप तक नहीं करा सकते हो |
उस आदमी ने थरथराती और धीमी आवाज़ में कहा, ओह हाँ मुझे कुछ करना चाहिए, दरअसल हम अभी अस्पताल से आ रहे है जंहा एक घंटे पहले ही उनकी मम्मी का निधन हो गया है, अब मुझे समझ नहीं आ रहा है की में क्या करू और शायद मेरे छोटे बच्चो को भी नहीं |
ये सुनकर Stephen को बहुत बुरा लगा और उनके दिल में उस आदमी के लिए सहानुभूति पैदा हो गयी, और मन में सोचने लगे की उन्होंने पहले से ही बिना जाने कैसी गलत मानसिकता अपने मन में बना ली थी |
7 habits of highly effective people in hindi
आदत 1. प्रोएक्टिव (proactive) बनो
इंसानों ने हमेशा अपनी तरक्की पर ध्यान दिया है और इंसान आत्म-जागरूक है, यही बात हमें जानवरों से अलग करती है जानवर सोच सकते है समझ सकते है लेकिन उनके अन्दर आत्म-जागरूकता नहीं होती है |
अगर में आपसे एक सवाल पूछूं की आप आज जो भी हो, चाहें फिर खुश, दुखी, सफल, असफल, या जिस भी परिस्थिति में आप अभी हो वो किस की वजह से हो ?
प्रोएक्टिव लोग वो लोग होंते है जो जानते है, जो फैसला मैंने कल लिया था उसी की वजह से में आज इस परिस्थिति में हूँ, आज आप जो भी है, आप खुद की वजह से है, आज आप दुखी या खुश या सफल या असफल जो भी हो खुद की वजह से हो |
इसमें दुसरे की कोई गलती नहीं है, प्रोएक्टिव लोग अपनी परिथिति को किसी दुसरे पर नहीं थोपते है | वो जानते है अगर मैंने बीते कल में वो काम नहीं किआ या किआ होता तो में आज कुछ और ही होता |
इसलिए दुसरो पर ये इलज़ाम लगाना छोड़ दो की उसकी वजह से आपकी ज़िन्दगी ख़राब हो गयी है |
इस दुनिया में दो तरह के लोग होते है, एक है प्रोएक्टिव और दूसरा रिएक्टिव ( Reactive) दोनों की भाषा और सोच में ज़मीन-आसमान का अंतर होता है |
रिएक्टिव लोग अपनी ज़िन्दगी के लिए हमेशा दुसरो को दोष देते फिरते है, किसी भी गलती के लिए कभी खुद को ज़िम्मेदार नहीं ठहराते है | लेकिन वंही प्रोएक्टिव लोग जानते है की वो अपनी ज़िन्दगी के लिए खुद ज़िम्मेदार हैं |
circle of influence and circle of concern
बचपन में जो भी हमारे साथ हुआ होता है उसमे हमारी कोई गलती नहीं होती है क्योंकि जब हमे कोई आत्म-जागरूकता थी नहीं | हमें नहीं पता होता है की क्या हमारे लिए गलत है और क्या हमारे लिए सही |
बचपन में हम हमेशा दुसरो को दोषी ठहरा देते है, लेकिन बड़े होने के बाद भी हमारी आदत वैसी ही रहती है, और हम हमेशा अपनी ज़िन्दगी को दुसरो के हाथो से चलने देते है |
circle of influence :- प्रोएक्टिव लोग अपने circle of influence को बड़ा करते रहते है, कहना का मतलब है, जो वो कर सकते या जो उनके हाथ में होता है, उस काम की ज़िम्मेदारी वो खुद लेते है, अगर आज बारिश हो गयी है लेकिन उन्हें कहीं बाहर किसी काम से जाना था, तो बारिश होना या ना होना उनके हाथ में नहीं है लेकिन छाता लेकर जाना उनके हाथ में |
लेकिन रिएक्टिव लोग जैसा की हमने ऊपर देखा हमेशा दुसरो को दोष देते है , सबसे अच्छा उदाहरण हम अभी लॉक डाउन में देख सकते है या तो आप लॉक डाउन की वजह से virus या सरकार को गाली दे देकर अपना circle of concern बड़ा करो या इसी लॉक डाउन में कुछ नई स्किल्स सीख कर अपना circle of influence बड़ा करो |
जीवन में चाहे कुछ भी परिस्थिति हो हमेशा उससे अपने जीवन को बेहतर करने का तरीका ढूंढे |
हमेशा याद रखें आपके जीवन के कर्ता आप खुद हो |
7 habits of highly effective people in hindi
आदत 2. अंत को शरुआत से ही सोचे
मान लीजिये आप अपने किसी प्रियजन के अंतिम संस्कार में जा रहे हो, वंहा आपके परिवार वाले, आपके दोस्त, और आपके मोहल्ले वाली भी मौजूद है |
अपने अपनी गाडी पार्क की फिर अन्दर गये और अन्दर देखा सब बहुत दुखी है और रो रहे है | आपने अपने फुल निकाले और जब आपने उस शव को देखा तो क्या पाए की ये तो आपका ही शव है |
फिर आप वंहा बेंच पर बैठ गये और एक एक करके सब आपके बारे में बोलने लगे पहले आपके परिवार फिर दोस्त और फिर मोहल्ले वाले |
अब जब आप ये blog पढ़ रहे हो तो अपने मन में ये सोचिये की आप अपने मरने के वक़्त, अपने परिवार या दोस्त या मोहल्ले वालो से अपने बारे में क्या सुनना चाहोगे |
कोई भी चीज होने से पहले दो बार होती है पहले आपकी सोच में फिर उसके बाद शारीरिक तौर पर | पहली आदत में हमने देखा की आप अपने जीवन के खुद कर्ता हैं, और दूसरी आदत में आप अपने जीवन को बनायेंगे लेकिन उससे भी पहले उसे सोचेंगे |
आज आप जो भी काम कर रहे हो चाहे कोई नौकरी, अपना काम, सिंगिंग, डांसिंग, एक्टिंग, या कोई और काम, क्या जीवन के अंत आप इसी काम के लिए सराहना पाना चाहते है तो ठीक है, अगर नहीं तो, आप को आपके अंत के बारे में सोचने की जरुरत है |
आप अपना खुद का सविंधान लिखो जिससे आप आपना circle of influence बड़ा कर सको, लेकिन सबसे जरुरी ये बात है की आपके circle of influence केंद्र किस बात पर निर्भर करता है |
आपके circle of influence का केंद्र आपके पति या पत्नी, बच्चे, पैसा, चर्च/मंदिर/मस्जिद/गुरुद्वारा, दोस्त/दुश्मन, सम्पति, परिवार, आदि पर निर्भर नहीं होनी चाहिए |
उदाहरण के लिए मान लीजिये आपका केंद्र आपकी पत्नी है, जिसमे आपकी शक्ति, मार्गदर्शन, सुरक्षा, और ज्ञान चोरो चीजे सिर्फ पत्नी पर आश्रित है तो क्या जिस दिन पत्नी का mood अच्छा नहीं होगा तो उस दिन आप भी दुखी हो जाओगे अरे मेरी पत्नी दुखी है इसलिए में भी दुखी हूँ |
अगर आपकी शक्ति, मार्गदर्शन, सुरक्षा, और ज्ञान आपके परिवार या दोस्त या दुशमन या किसी और व्यक्ति पर आश्रित होंगे तो , वो व्यक्ति आपके सविंधान के नियम को भी प्रभावित करेगा |
इसलिए अपने circle of influence के केंद्र में हमेशा आपके सिधांत को ही रखें, अगर आप अपने सिधांत को अपने जीवन में पहली जगह देंगे तो आप अपने परिवार, दोस्त, पति/पत्नी या किसी और व्यक्ति से भी अच्छे रिश्ते बना पयोगे |
क्योंकि लोग बदल जाते है लेकिन आपके सिधांत नहीं बदलेंगे और ना आपको धोका देंगे |
जो भी तुम्हे चाहिए वो तुम्हारे अन्दर पहले से ही मौजूद है |
आदत 3. जरुरी काम सबसे पहले
ये हमने पहले ही सिखा था की इंसान जानवर से इसलिए अलग है क्योंकि उसके पास आत्म-जागरूकता है उसको पता है उसके लिए क्या सही है और क्या गलत है |
तो अभी आप क्या कर रहे हो? हाँ हाँ blog पढ़ रहे हो लेकिन उसके तुरंत बाद क्या करोगे ? क्या वो काम करोगे जो आपके जीवन में आपको success पाने में मदद करेगा या फिर वो काम जो सिर्फ समय को बेकार करेगा |
जैसा आपने अपने अंतिम संस्कार में सोचा था वैसा इंसान बनने में जो काम आपकी मदद करेगा उस काम को सबसे पहले खत्म करो फिर बाकी के काम करो |
इसके लिए आप इस चित्र की सहायता ले सकते हो |
7 habits of highly effective people in hindi
किसी भी काम को आपको करना है या नहीं करना है, तुरंत करना है या बाद में करना है आप इस चित्र के माध्यम से कर सकते है, जिसे मैंने नीचे समझाया हुआ है |
भाग 1 – इस भाग में वो काम आते है जो महत्वपूर्ण भी है और तुरंत भी करने है जैसे, दोस्तों ने गेम खेलने के लिए फोने कर दिया, बाहर घुमने जाना, अगले हफ्ते आने वाले एग्जाम की तैयारी, अचानक आने वाला खतरा आदि
ये काम आपको लगते तो है बहुत जरुरी है लेकिन असल में होते नहीं है | इन सारे कामो को आपको बाद में करना सिखाना चाहिए, दोस्तों को नम्रता के साथ “नहीं” कहना आना चाहिए,
आपको ऐसा लगता है अगर दोस्तों को ना कहूँगा तो वो बुरा मान जायेगा लेकिन असल में ऐसा नहीं होता है, क्योंकि हमने ऊपर ही सीखा आपके केंद्र आपका सिधांत है ना की कोई व्यक्ति |
जो समय बर्बाद करे, उस काम को आपको ना कहना आना चाहिए |
भाग 2 – इस भाग में वो काम आते है जो महत्वपूर्ण तो होते है लेकिन तुरंत ना करने से हमको कोई नुक्सान नहीं होता है |
जैसे की हमारा स्वास्थ, पारिवारिक रिश्ते, एक साल बाद आने वाले एग्जाम, आदि |
इसलिए हम इन कामो को हमेशा बाद के लिए टालते रहते है, और जब ये एकदम से सामने आ जाते है तो हमारे पास उनका समाधान करने के लिए कोई भी योजना नहीं होती है |
दुनिया के जितने भी successful लोग है वो इसी भाग को सबसे ज्यादा प्राथमिकता देते है और दूर की सोच रख कर आज के दिन काम करते है |
भाग 3 – इस भाग में वो काम आते है जो महत्वहीन होते है लेकिन हमें आवश्यक लगते है जैसे, फ़ोन बजते है तोड़ते हुए उसको उठाना और ये देखना की किसका मेसेज आया था, मेल्स check करना, आदि |
इस काम को जितना हो सकते उतना टालने की कोशिश करें, लेकिन हम इसका उल्टा करते है जो काम टालना चाहिए उसको तुरंत करते है और जो काम तुरंत करना चाहिए उसको टालते जाते है |
भाग 4 – इस भाग में वो काम आते है जो ना ही महत्वपूर्ण होते है और ना ही आवश्यक होते है जैसे की घंटो तक गेम खेलना, टाइम पास करना, घंटे बैठ कर किसी बेकार की बात पर चर्चा करना |
इस काम को तो आप ना ही करें तो बेहतर होगा |
अब अपने आप से पूछें की, क्या आप अभी वो काम करे है जो आपको सही में करना चाहिए ?
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7 habits of highly effective people किताब से क्या सिखा ?
- आज आप जो भी है, खुद की वजह से हो, दुसरो को दोष देना बंद करो |
- हमेशा अपना circle of influence बड़ा करने पर ध्यान दो |
- खुद की ख़ुशी किसी और पर आश्रित मत करो
- अपने अंत को शुरुआत से ही सोच कर चलो
- हर काम की योजना बनायो
- महत्वपूर्ण और आवश्यक काम को परखना सीखो
- नम्रता के साथ ना कहना सीखो
आशा करता हूँ आपको 7 habits of highly effective people in hindi किताब की summary जरुर पसंद आई होगी,अगर हाँ तो अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करें |
धन्यवाद !