कुछ खिलाडी सिर्फ अपने खेल से ही नहीं बल्कि अपनी मेहनत और लगन से भी पहचाने जाते है, ऐसा हर खेल में होता है जंहा कुछ खिलाडी पूरी दुनिया में अपने खेल से बाहर भी जाने जाते है |
जैसे की शंतरंज में विश्वनाथ आनंद, बास्केटबाल में माइकल जॉर्डन, दौड़ में उसैन बोल्ट, गोल्फ में टाइगर वुड्स, फुटबॉल में मेस्सी और रोनाल्डो और क्रिकेट में सचिन तेंदुलकर इन नामो में शामिल है |
लेकिन समय के साथ इन नामो में बढ़ोतरी होती जाती है जैसे की क्रिकेट में हुई है |
अब क्रिकेट की ही category में वेस्ट दिल्ली का एक लड़का शामिल हो गया है जिसका नाम है विराट कोहली |
भारत में शायद ही ऐसा कोई होगा जो विराट कोहली को ना जनता हो, सब उनकी मेहनत, लगन और क्रिकेट के प्रति जूनून के कायल है | तो आईये जानते है इस महान खिलाडी के जीवन के बारे में |
बचपन
Table of Contents
विराट कोहली का जन्म 5 नवम्बर 1988 को दिल्ली के उत्तम नगर इलाके में एक middle क्लास पंजाबी परिवार में हुआ था | उनके पिताजी प्रेम कोहली एक क्रिमिनल लॉयर थे और उनकी माताजी सरोज कोहली एक गृहिणी |
उनके बड़े भाई का नाम विकास कोहली है, और बड़ी बहन का नाम भावना है, जब वो मात्र तीन साल के थे तभी से उन्होंने ने बल्ला उठा लिया था और अपने पापा से बोलिंग करवाते थे |
विराट कोहली विशाल भारती पब्लिक स्कूल में पढ़ते थे, और जब 1998 में वेस्ट दिल्ली में क्रिकेट अकादमी बनाई गयी तब विराट पहली बार किसी टीम का हिस्सा बने, उस समय वो नौ वर्ष के थे |
उस समय उनके कोच राजकुमार शर्मा थे, जो बताते है विराट बचपन में बहुत बोलते थे और उन्हें चुप करना बहुत मुश्किल था, वो किसी भी position पर बल्लेबाजी कर लिया करते थे |
शुरुआत में तो विराट एक औसत खिलाडी थे लेकिन एक दिन खलते समय विराट ने थ्रो किया जो की बहुत ही सटीक और तेज था|
जिसे देख कर उनके कोच ने उनकी प्रतिभा को महसूस किआ और विराट पर काम करना शुरू कर दिया, तब शुरू हुई उनकी क्रिकेट की एक नई यात्रा | फिर धीरे धीरे उन्होंने चुप रहना, साथ ही खेल पर सयम बनाना सिखा |
घटना जिसने ज़िन्दगी बदल दी
19 दिसम्बर 2006 की बात है, जब 18 साल के विराट कोहली दिल्ल्ली के लिए कर्नाटक के खिलाफ चार दिन का मैच खेल रहे थे |
उनके पिताजी ने उस वक्त ऑनलाइन शेयर्स में invest किया हुआ था, लेकिन अचानक उनका इन्वेस्टमेंट डूब गया और उनको उसी दिन दिल का दौरा पड़ गया |
सुबह के 2.30 बजे थे, और उनके परिवार को कुछ समझ नहीं आया की उस वक्त क्या करना है पास के ही किसी डॉक्टर के पास ले गये लेकिन उसने दरवाजा नहीं खोला |
किसी तरह उनको अस्पताल ले जाया गया लेकिन दुर्भाग्यवस विराट के पिताजी का निधन हो गया | उस वक्त उनके पिताजी 54 वर्ष के थे, जब उनका निधन हुआ |
अगले ही दिन विराट को मैच खेलना था, उनका पूरा परिवार टूट गया लेकिन ना जाने क्यों विराट तब रो ना सके, जैसे मानो उनके मन में भावना बची ही ना हो |
सुबह कोच को फोन किया और बताया की पिताजी का देहांत हो गया है, कोच ने सांत्वना दी और बोले की कोई बात नहीं आप मैच मत खेलिए लेकिन कोच के सुझाव के बावजूद विराट ने मैच खेलने का फैसला किया |
उस समय उनकी टीम में ईशांत शर्मा भी थे जब उन्होंने सुबह विराट को फील्ड में जाते हुए देखा तो वो भी हैरान हो गये, मैच के बाद साथियों ने सांत्वना देने लगे तब विराट से और रहा नहीं गया और वो रोने लगे |
अंतिम संस्कार के लिए विराट मैच से वापस गये और अपने भाई से वादा किया की वो एक दिन भारत के लिए जरुर खेलेंगे, क्योंकि उनके पिताजी का भी यही सपना था की वो भारत के लिए खेलें |
उस दिन से विराट के लिए क्रिकेट ही सब कुछ बन गया और बाकी सारी चीजे दुसरे स्थान पर, failure और success अब जीवन का हिस्सा बन गया |
under-19 वर्ल्ड कप
2006 के बाद से भारत की under-19 टीम में विराट की जगह permanent हो गयी थी, पाँच फर्स्ट क्लास matches में 53 की औसत से रन बनाये और 159 की शानदार पारी भी खेली जो की सर्वश्रेष्ठ स्कोर भी था |
इस शानदार परफॉरमेंस ने उन्हें 2008 के under-19 वर्ल्ड कप के लिए एक पक्का दावेदार
बना दिया था | फिर बाद में तन्मय श्रीवास्तव की जगह विराट को कप्तान बनाया गया |
अब विराट अपने पिताजी के सपने को पूरा करने से बस कुछ ही दुरी पर थे, उस समय under-19 टीम के कोच श्रीलंका के पूर्व कोच dave whatmore थे, साथ ही रविन्द्र जडेजा टीम के vice कप्तान थे |
पूरी सीरीज में विराट ने टीम को एक सिपाही की तरह लीड करते हुए दक्षिण अफ्रीका को 12 रन से हराकर under-19 वर्ल्ड कप भारत के नाम किया |
इस तरह विराट कोहली, under-19 वर्ल्ड कप की जीत में अपनी टीम को लीड करने वाले दुसरे भारतीय कप्तान बने, सबसे पहले 2000 में मोहम्मद कैफ ने ये कारनामा किया था |
भारतीय टीम में कदम
विराट कोहली ने श्रीलंका के खिलाफ, 18 अगस्त 2008 को अपने एक दिवसीय इंटरनेशनल मैच की शुरुआत की, रेगुलर openers ना होने की वजह से उन्हें ये मौका दिया गया था |
पहली पारी में विराट ने 12 रन बनाये थे, पूरी सीरीज में उन्होंने कुछ पारियां अच्छी खेली और एक अच्छी भूमिका निभाई जिसकी वजह से भारत वो सीरीज जितने में सफल हुआ |
क्योंकि सचिन और सहवाग openers थे इसलिए उन्हें कुछ वक़्त टीम से बाहर रहना पड़ा लेकिन जल्द ही उन्होंने अपने आप को एक middle आर्डर का जरुरी बल्लेबाल साबित कर दिया |
विराट ने उसी साल आईपीएल में भी अपना debut किया, under-19 में उन्होंने ने इतना अच्छा खेला था इसलिए उनसे उम्मीद तो बहुत थी लेकिन वो कुछ अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए |
दुसरे साल उन्होंने 16 मैच में 246 रन बनाये लेकिन फिर भी उनके लिए ये काफी नहीं था, उनका असली talent आना अभी बाकि था |
2010 के दौरान विराट कोहली ने दुसरे खिलाडियों से अच्छा प्रदर्शन किया और 2010 की एक दिवसीय इंटरनेशनल में वो पहले स्थान पर रहे | ये दिल्ली का लड़का अब अपने खेल से सबको अचंभित कर रह था |
कोहली जिस जूनून के साथ क्रिकेट खेल रहे थे उसे देखकर अब हर कोई उनका फेन होने लगा |
2011 वर्ल्ड कप
2011 में भी विराट ने अपना अच्छा प्रदर्शन जारी रखा, वह केवल 22 वर्ष के थे जब भारत ने वर्ल्ड कप जीता |
फाइनल में विराट के 35 रन काफी महत्वपूर्ण रहे, क्योंकि सचिन और सहवाग जल्दी आउट हो गये थे, सचिन ने जाते वक़्त विराट को बोला की पिच पर ओस है और गेंद ने स्विंग करना बंद कर दिया है लेकिन odd बॉल स्विंग हो रहा ही |
विराट के बचपन के hero सचिन तेंदुलकर जीत के बाद काफी ज्यादा भावुक थे, क्योंकि उन्होंने वर्ल्ड कप को पाँच बार जीतने की कोशिश की थी लेकिन हर बार असफलता ही हाथ लगी थी |
फिटनेस
इतनी कम उम्र में इतनी बड़ी बड़ी उपलब्धियां मिलने की वजह से कुछ गलत आदतोें ने विराट को घेर लिया | वो रोज़ शराब पिया करते थे और रात को देर तक जागते थे |
जब भी किसी टूर पर जाते वंहा पार्टी करते, जिससे धीरे धीरे उनके शरीर में पहले जैसी फुर्ती नहीं रह गयी थी, इसलिए एक दिन शीशे में अपने आप को देखते हुए विराट ने बोला की “अगर तुम्हे एक professional cricketer बनना है और भारत को इंटरनेशनल level पर represent करना है तो तुम्हे ऐसा बिलकुल भी नहीं दिखना होगा” |
उनके फिटनेस आदर्श “कोच Duncan Fletcher” थे, जिन्होंने कहा थे की क्रिकेट एक unprofessional खेल है क्योंकि इसमें खिलाडी अपनी फिटनेस पर बिलकुल भी ध्यान नहीं देते है |
इसलिए उन्होंने अपने आप को सब गलत आदतों से दूर किया और 2012 में अपनी ट्रेंनिंग को बहुत शख्त किया |
वो पहले शराब, बटर चिकन, मटन रोल, और छोले भठूरे बहुत खाया करते थे लेकिन क्योंकि उनके जीवन में सबसे ज्यादा क्रिकेट ही प्यारा है इसलिए उन्होंने ये सब चीजें छोड़ दी |
आज पुरे क्रिकेट में विराट कोहली अपने खेल के लिए तो जाने ही जाते है लेकिन साथ ही अपनी फिटनेस के लिए भी वो बहुत लोकप्रिय है |
अनुष्का से पहली मुलाकात
क्योंकि विराट कोहली बहुत लोकप्रिय हो चुके थे इसलिए ब्रांड्स और sponsors ने भी उन्हें sign करने की कोशिश की जिसकी वजह से उन्हें advertisement मिलने लगी |
2013 में clear शैम्पू की ऐड में कोहली पहली बार अनुष्का से मिले वो काफी ज्यादा घबराये हुए थे, अनुष्का कद में थोड़ी लम्बी है और उन्होंने हील्स भी पहनी हुई थी इसलिए विराट ने फनी दिखने के चक्कर में ये बोल दिया “क्या आपको इससे बड़ी हिल्स नहीं मिली” |
इसलिए अनुष्का थोडा नाराज हो गयी लेकिन बाद में विराट ने बोल दिया की वो बस मजाक था |
जब ऐड टीवी पर दिखाया गया तो दोनों की जोड़ी को काफी पसंद किया गया और दोनों की love स्टोरी की चर्चा होने लगी |
दोनों को साथ में रहना, मिलना और बातें करना पसंद था, विराट बताते है की दोनों बिलकुल एक जैसे है दोनों ने अपना करियर 2008 में शुरू किया, दोनों एक middle क्लास परिवार से आते है |
दोनों ने इस मुकाम तक आने के लिए काफी मेहनत की है, बाद में उनकी की शादी इटली में हुए, जो की देश के लिए एक बड़ी खबर बन गयी |
विराट ने एक इंटरव्यू में बोला की उनको एक बेहतर इंसान अनुष्का ने ही बनाया है और उनका फिटनेस या media का काम हो, हर चीज में आगे बढ़ने के लिए अनुष्का ने ही मदद की है |
अंत की बात
दिल्ली के उत्तम नगर से आया एक middle क्लास का लड़का जब इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल कर सकता है तो आप भी कर सकते हो |
आप देखंगे की ऐसा नहीं है की शुरुआत से ही विराट कोई बहुत अच्छे खिलाड़ी थे लेकिन उन्होंने लगातार अभ्यास, और मेहनत की जिसके दम पर आज वो भारत देश के चाहिते क्रिकेट खिलाडी बन चुके है |
आप जो भी काम कर रहे है उसको ही अपना सब कुछ मान कर और उसको अपने जीवन में सबसे पहला स्थान दे कर आप उस चीज में मास्टर बन सकते है |
आशा करता हूँ आपको में उत्साह करने वाली विराट कोहली की जीवनी जरुर पसंद आई होगी…अगर हाँ तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करें |
धन्यवाद !
चिंता से कैसे लडें :- यंहा क्लिक करें