इस किताब को जॉन ग्रे जो की एक अमेरिकन रिलेशनशिप काउंसलर है ने लिखा है, अगर हम ये जान जाये की महिलाएं और पुरुष दोनों शारीरिक तौर पर ही नहीं |
बल्कि मानसिक तौर पर, बोल चाल, और सोच-विचार में भी अलग अलग है तो हम अपनी रिलेशनशिप को खुशहाल और healthy बना सकते है |
इस किताब के जरिये आप घरेलु झगडे से बच सकते है, पुरुष महिला को और महिला पुरुष को समझ सकती है, एक दुसरे को खुश रख सकते है हो और अपने रिश्ते बेहतर बना सकते है |
मंगल और शुक्र गृह
Table of Contents
पुरुष मंगल गृह पर रहते थे और महिला शुक्र गृह पर, दोनों अपने माहौल में अपने अपने तरीके से जीवन व्यतीत करते थे |
एक दिन मंगल गृह के पुरुषों ने अपनी दूरबीन से अन्तरिक्ष में देखते हुए शुक्र गृह पर महिलायों को देखा और देखते ही उनको महिलयों से प्यार हो गया, फिर पुरुष अपने space क्राफ्ट के माध्यम से मंगल गृह पर आये और एक दुसरे के साथ रहने लगे |
शुरुआत में काफी महीनों तक दोनों ने एक दुसरे के तौर तरीके, व्यवहार, सोच, इच्छा, बोलना, भाषा, और जरुरत को समझा और फिर उसके बाद दोनों ख़ुशी ख़ुशी रहने लगे |
उसके बाद दोनों ने प्रथ्वी गृह को देखा और दोनों प्रथ्वी गृह पर आ गए, लेकिन प्रथ्वी गृह के वातावरण के कारण जब वो एक दिन सुबह उठे तो दोनों अपनी अपनी याददाश्त भूल गये |
ये भी भूल गये की दोनों किसी दुसरे गृह से आये थे, दोनों के सोच और विचार में अंतर है, इसी कारण दोनों में झगडे होने लगे और दोनों एक दुसरे से बात बात पर लड़ने लगे |
दोनों एक दुसरे पर अपनी आदत थोपने लगे, पुरुष ये सोचता की महिला उसके जैसा क्यों नहीं सोचती और बोलती है, और महिला ये की पुरुष उसके जैसी क्यों इच्छा और चर्चा नहीं करता है |
रिसर्च के अनुसार दुनिया में 50% लोगो के तलाक हो जाते है और जो बाकी साथ में रहते है वो प्यार के कारण नहीं बल्कि वफ़ादारी, सामाजिक प्रतिस्था और दुबारा शुरू करने के डर से साथ में रहते है |
लेकिन अगर पुरुष और महिला अपनी अपनी आदतों और एक दुसरे की आदतों, सोच विचार को समझ जाये तो उनके बीच की सारी समस्या हल हो सकती है |
श्रीमान समस्या सुलझाने वाले
मंगल गृह पर पुरुष बड़े बड़े space क्राफ्ट, और बड़ी बड़ी इमारतें, बनाते थे, हमेशा अपनी समस्या नय नय तरीके से सुलझाते है, मंगल गृह पर शक्ति, योग्यता और कार्य कुशलता तो बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता था |
वह हमेशा समस्या को जल्दी से सुलझाने चाहते है, इसलिए जब भी कोई महिला किसी पुरुष के पास अपनी समस्या लेके आती है तो पुरुष उसे बस जल्दी से समस्या का समाधान दे देता है |
लेकिन महिला ऐसी नहीं होती है वो आपके पास अपनी समस्या का समाधान नहीं बल्कि आपसे आपकी हमदर्दी के लिए आती है अगर आप महिला की पूरी बात ध्यान से सुन लेंगे तो वो सिर्फ इससे ही खुश हो जागेंगी |
लेकिन पुरुष उसको समस्या का समाधान देकर बात को जल्दी से बस ख़त्म करना चाहता है, लेकिन जब महिला समस्या का समाधान पाकर भी अपनी समस्या के लिए अपने पति से बोलती ही रहती है|
तो पति को लगता है की अरे मेने तो उसको बता दिया ना फिर क्यों ये अपनी समस्या के लिए रोये जा रही है लेकिन असल में उसको समाधान नहीं हमदर्दी चाहिए उसकी बात को कोई सुनाने वाला चाहिए |
इसलिए पुरुष को महिला की पूरी बात ध्यान से सुनानी चाहिए, महिला बस अपनी बात बताना चाहती है की उनके साथ पुरे दिन में क्या हुआ, इसको आप बेकार की बात ना समझे बल्कि महिला को हमदर्दी दिखाए |
श्रीमती सुधर समिति
शुक्र गृह पर महिला बड़ी बड़ी इमारतें और मशीन नहीं बल्कि प्रेम और सदभाव की इमारतें बनाना पसंद करती है | वो सबंध बनाने में अपनी दिलचस्पी लेती है और एक दुसरे को बिन मांगे सलाह देकर सुधारती है |
रोज़ अपने mood के हिसाब से ड्रेस बदलती है, बिन मांगे सलाह देना और सलाह लेना वंहा अच्छा समझा जाता है |
क्योंकि महिला हमेशा सुधारने पर ध्यान देती है इसलिए पुरुष को ऐसा लगता है जैसे की महिला उसको बदला चाहती है और जब महिला पुरुष को बिना मांगे सलाह देती है या उसे सिखाने की कोशिश करती है तो उसे ऐसा लगता है जैसे मानो उसे कुछ ना आता हो |
महिलयों को बिन मांगे सलाह नहीं देना चाहिए क्योंकि इसको मंगल गृह पर ये कमजोरी की निशानी समझा जाता था | लेकिन महिला को ऐसा लगता है की मेरी सलाह से पुरुष को अच्छा लगेगा और उसको ऐसा लगेगा जैसे उसका कोई ख्याल रख रहा है |
लेकिन पुरुष को लगता है की वो नाकारा और निक्कमा है, उसकी पत्नी उस पर विश्वास नहीं करती है इसलिए उसको बदलना चाहती है |
तनाव को सुलझाना
दोनों पुरुष और महिला तनाव को अलग अलग तरीके से सुलझाते है, तनाव के वक़्त दोनों अलग अलग तरीके से व्यवहार करते है, दोनों जब अपने अपने गृह पर थे तब दोनों का तरीका अलग था |
मंगल गृह पर तनाव
मंगल गृह पर जब भी पुरुष तनाव में या किसी परेशानी में होता था तो अपनी गुफा में जाकर शान्ति से अकेले कुछ देर जाकर बैठ जाया करता था |
बाकी के भी पुरुष उस समय गुफा वाले पुरुष से कुछ नहीं बोलते थे क्योंकि वो जानते थे की ये अभी तनाव में है थोड़ी देर बाद ये अपने आप गुफा से बहार आ जायेगा |
लेकिन शुक्र गृह की महिला ये बात नहीं जानती थी इसलिए इसलिए जब भी कोई पुरुष तनाव में होता था तो वो अपनी सलाह देने और परेशानी के बारे में पूछने की आदत की वजह से पुरुष से उसकी परेशानी के बारे में पूछने लगती है |
इसलिए तनाव के वक़्त महिला को पुरुष से बार-बार ये नहीं पूछना चाहिए की आप किसलिए परेशान हो पुरुष थोड़ी देर बस अकेले रहना चाहता है फिर दुबारा वो सही हो जायेगा |
इस वक़्त अपने पति को कुछ देर के लिए अकेला छोड़ देर और बाहर दरवाजे पर बैठ कर उसके आने का इन्तजार ना करे बल्कि उस समय अपनी किसी दोस्त से बात कर लें या कोई मनपसंद किताब पढ़ लें |
उस समय पुरुष को किसी प्रकार का दोष ना दें की वो क्यों किसी से बात नहीं कर रह है | या आपसे प्यार नहीं करता है |
शुक्र गृह पर तनाव
शुक्र गृह पर जब महिला तनाव में होती थी तो दूसरी महिलाओं के पास जाकर उस बात के बारे में काफी देर बातें किया करती थी, अपनी परेशानी दुसरो को बताया करती थी |
इसलिए जब महिला तनाव में होती है तो पुरुषो से अपनी परेशानी के बारे में बाते करना पसंद करना करती थी, लेकिन पुरुष श्रीमान समस्या समाधान बनकर उसकी समस्या हल करने में लग जाते है |
इसलिए तनाव के वक़्त महिला सिर्फ इतना ही चाहती है की पुरुष उसकी बात को सुने और उनको गले लगाकर सांत्वना दें |
जब महिला अपनी बात को देर तक कहते रहे तो उनकी बात को धीरज और ध्यान के साथ सुने अपने धीरज बना के रखें उसका हालचाल पूछते रहे, ना की जल्दी से समाधान देने लगें |
जीवनसाथी को प्रेरित कैसे करें
जब मंगल गृह से पुरुष ने शुक्र गृह की महिला को दूरबीन से देखा था तो महिला ने उनको आने का निमंतरण दिया, इसलिए पुरुष को समझ आ गया था की महिलाओं को उनकी जरुरत है |
इसलिए पुरुष को तभी प्रेरणा मिलती है जब उसको लगता है किसी को उसकी जरुरत है और महिला को प्रेरण तब मितली जब उसको लगता है की उसको प्रेम किआ जा रहा है |
इसलिए महिला को अगर पुरुष को प्रेरण देनी है तो उसको ऐसा अनुभव करवाना चाहिए की आपको जरुरत है उसकी |
शुरुआत में महिला अपने मात्र आँख के इशारे से ही बता देती है की उसको किसी पुरुष की जरुरत है और पुरुष बिना डर के उससे अपने प्यार का इजहार कर देता है और उसको समझ आ जाता है की महिला को पुरुष की जरुरत है |
लेकिन शादी के बाद महिला पुरुष को ये इशारा करना भूल जाती है इसलिए पुरुष को लगता है अब उसकी कोई जरुरत नहीं है और वो अपनी गुफा में चला जाता है |
फिर महिला को लगता है की उसका पति उससे प्यार नहीं करता है और वो भी तनाव के कारण बहुत बोलने लगती है और दोनों को जो नहीं करना चाहिए वोही करने लगते है |
महिला बोलने लगती है और पुरुष चुप अकेले रहने लगता है, लेकिन अगर दोनों ये समझ जाये की दोनों को प्रेरणा अलग अलग तरीके से मिलती है तो ये समस्या का समाधान किआ जा सकता है |
दोनों की भाषा अलग है
मंगल और शुक्र गृह के शब्द तो एक जैसे थे लेकिन दोनों के मतलब अलग अलग थे इसलिए जब दोनों ने साथ में रहना शुरू किआ तो शुरुआत में काफी समस्या आई लेकिन “शुक्र-मंगल dictionary” की सहायता से वो जो उनका पार्टनर कहना चाहता है वो समझ जाया करते थे |
लेकिन जब पृथ्वी पर दोनों अपनी याददाश्त भूल गये तो दोनों ये भी भूल गये की दोनों के शब्दों में अंतर है, वो कहते कुछ और है और कहना कुछ और चाहते है |
जब भी कोई महिला कोई बात कहती है तो उसका कहना मतलब बिलकुल वो नहीं होता है जैसा कोई पुरुष समझ लेता है |और जब कोई बात पुरुष कहता है तो उसका मतलब बिलकुल वही नहीं होता है |
महिला जब भी कोई बात कहती है तो अतिशयोक्ति और अलंकारो का इस्तेमाल करती है जैसे कभी नहीं, बिलकुल, पूरा, आदि
उदारहरण के तौर पर हम कुछ वाक्य देख लेते है
महिला :- हम कभी बाहर नहीं जाते है | पुरुष गलत समझ लेगा और बोलेगा ” ये सच नहीं है हम पिछले हफ्ते ही तो बाहर गये थे”
महिला :- सभी मुझे नजरंदाज कर देते है | पुरुष :- मुझे लगता है कई लोग तुम्हारी तरफ ध्यान देते है |
महिला :- में थक चुकी हूँ और अब कुछ नहीं कर सकती हूँ | पुरुष :- कैसी बकवास कर रही हो तुम कमजोर नहीं हो |
महिला :- अब तुम मुझसे बिलकुल प्यार नहीं करते हो | पुरुष :- कैसे नहीं करता हूँ बिलकुल करता हूँ में तभी तो यंहा पर हूँ |
पति और पत्नी में ज्यादातर लड़ाई ग़लतफहमी की वजह से होती है ना की किसी बात से वो एक दुसरे की भाषा का गलत मतलब निकाल लेते है और लड़ने लग जाते है |
अगर दोनों एक दुसरे की बात समझ लें और भाषा का सही अनुवाद पता चल जाए तो लड़ाई होगी ही नहीं |
शुक्र-मंगल dictionary
प्रश्न:- हम कभी बाहर नहीं जाते है | इस वाक्य का सही अर्थ होगा “मैं बाहर जाना चाहती हूँ और तुम्हारे साथ समय बिताना चाहती हूँ हम दोनों बाहर चलते है जब हम दोनों साथ में होते है तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता है तुम्हारा इस बारे में क्या विचार है क्या तुम मुझे बाहर डिनर के लिए ले जाओगे ? हमे बाहर गये काफी दिन हो गये है” |
और इस अनुवाद के बिना पुरुष को लगेगा की महिला कहना चाहती है की तुम कितने Boring और unromantic हो, तुमसे शादी करके तो मैंने अपनी ज़िन्दगी ही खराब कर ली है |
प्रश्न :- मैं थक चुकी हूँ में कुछ नहीं कर सकती | इस वाक्य का सही अर्थ “मेने आज बहुत काम किआ हुआ है और मुझे आज आराम की जरुरत है में खुश खुशकिस्मत हूँ की मेरे पास तुम्हारा सहारा है क्या तुम मुझे गले लगाकर ये बोलोगे की में बहुत बढ़िया काम कर रही हूँ और आज मुझे आराम की जरुरत है |
और इस अनुवाद के बिना पुरुष को लगेगा की महिला कहना चाहती है की सारा काम मैं ही करती हूँ और तुम कुछ भी नहीं करते हो बस दिन भर मुझे मशीन की तरह लगाकर कर रखा हुआ है |
प्रश्न :- तुम से तो कुछ होता ही नहीं है, घर हमेशा कचरे घर की तरह दिखता है | सही अर्थ :- आज मेरा mood आराम करने का है परन्तु घर की हालत बहुत खराब है में कुंठित हूँ क्योंकि मुझे आराम की जरुरत है मैं तुमसे सारा कचरा साफ़ करने की उम्मीद नहीं करती परन्तु कितना अच्छा हो तुम भी ये मान लो की घर में सफाई की जरुरत है और इस काम में मेरा हाथ बटायो |
और इस अनुवाद के बिना पुरुष को लगेगा की महिला कहना चाहती है की पूरा घर सिर्फ तुम्हरी वजह से गन्दा पड़ा रहता है में इसे साफ़ करती रहती हूँ और तुम ऐसे गन्दा करते रहते हो |
प्रश्न :- तुम अब मुझसे बिलकुल भी प्यार नहीं करते हो | सही अर्थ :- आज मुझे ऐसा लग रहा है जैसे तुम मुझसे प्रेम नहीं करते में जानती हूँ तुम मुझसे सचमुच प्यार करते हो तुम मेरा बहुत ध्यान रखते हो परन्तु आज मेरे मन में आसुरक्षा की भावना आ गयी है क्या तुम मुझे आसुअस्थ करोगे की तुम मुझसे प्रेम करते हो तुम मुझसे वो जादुई शब्द कहोगे ” I LOVE YOU” और जब तुम ये कहते हो तो मेरे दिल ये सुनकर खुश हो जाता है |
अनुवाद के बिना पुरुष को लगेगा मैंने पूरी ज़िन्दगी इसके लिए सब कुछ किआ और ये मुझसे ऐसे बोल रही है की में उससे प्यार नहीं करता हूँ |
अगर आप ऊपर लिखे अनुवाद को ध्यान रखेगे तो फिर कभी किसी बात का गलत मतलब निकाल कर नहीं झगडोगे |
पुरुष Rubber band के समान
कभी कभार पुरुष एक rubber band की तरह अपने आप को महिला से दूर कर लेता है वो ऐसा इस लिए नहीं करता क्योंकि अब उसको पत्नी से प्यार नहीं बल्कि वो थोड़े समय के लिए space चाहता है |
इस समय महिला ये गलत समझ लेती है की उसका पति उससे प्यार नहीं करता है लेकिन ये पुरुष की गलती नहीं उसका nature ही ऐसा होता है वो कुछ समय के लिए दूर जाता है और फिर करीब आ जाता है |
जैसा rubber band जब वापस आता है तो ज्यादा तेजी से आता है उसी प्रकार से पुरुष भी ज्यादा उत्साह से भर कर वापस लोटता है |
महिला लहरों के समान
महिला लहरों के समान होती है जैसे लहरे ऊपर और निचे की और जाती है उसकी प्रकार महिला भी कभी कभार बहुत उदास हो जाती है |
उस समय पुरुष को उसकी समस्य का समाधान नहीं बल्कि उसका साथ देना चाहिए और गले लगाकर ये कहाँ चाहिए की वो उसके साथ है कोई दिक्कत की बात नहीं और उसकी सारी बात सुननी चाहिए |
ऐसा भी हो सकता है शायद जिस बात के लिए महिला परेशान है उस बात का समाधान हो चूका फिर भी वो परेशान हो सकती है लेकिन आप उसके साथ तब भी बने रहे |
दिल जीतना
पुरुष को ऐसा लगता है की महिला सिर्फ बड़े बड़े तोहफे से खुश होती है जैसे की कार, कोई घर, महंगी घडी, महंगी ड्रेस, आदि लेकिन मंगल ग्रेह पर ऐसा नहीं है |
महिला हर गिफ्ट के लिए सिर्फ एक ही नंबर देती है, फिर चाहे आप उसको एक घर दे दो या कोई गुलाब का फुल |
इसलिए उसके लिए छोटे छोटे कार्य करे जैसे उसके लिए गाडी का दरवाजा खोलना, रोज़ कम से कम 2 बार i love you बोले, रोज़ गले लगाना, उसकी बात सुनना, कभी कभी आप खाना बना लो, उसकी तारीफ करो, अगर थकी हुए लगे तो उससे पूछे आज क्या हुआ, बाहर जाते वक़्त उससे पूछे कुछ लाना हो तो, ऑफिस से फोन करके उसका हाल पूछे, अपने कपडे सीधें कर दें, बिना सेक्स के भी उसको गले लगायें और प्रेम जताने का ध्यान रखें |
दोनों की भावनाक्तक जरुरत
पुरुष :-
- विश्वास – महिला पुरुष पर विश्वास करें
- स्वीकार – जैसा है वैसा ही स्वीकारा जाये उसको बदलने की कोशिश ना की जाये
- सराहना – उसकी सराहना की जाये ताकि वो और प्यार करें
- तारीफ़ – उसके काम की तारीफ़ की जाये
- संतुस्ट – पुरुष को ऐसा लगना चाहिए की आप उससे संतुस्ट है
- प्रेरणा – प्यार के लिए प्रेरणा मिलनी चाहिए
महिला :-
- ख्याल – महिला चाहती है उसका ख्याल रखा जाये
- समझा – उसको समझा जाये ना की समाधान दिया जाये
- सम्मान – उसका सम्मान करा जाये
- निष्ठा – महिला को ऐसा लगना चाहिए की पुरुष के जीवन में सबसे पहले उसकी पत्नी आती है |
- समर्थन – उसका समर्थन किया जाना चाहिए
- बार बार इजहार – पुरुष को अपने प्यार का बार बार इजहार करना चाहिए, ना की साल में एक बार |
बहस को कैसे खत्म करे
बहस किसी मुद्दे से शुरू होती है और किसी और मुद्दे पर खत्म होती है, आपके पार्टनर को बुरा आपके बात करने के तरीके से लगता है ना की बात पर |
ध्यान रखे बहस के लिए दो लोगो की जरुरत होती है लेकिन बहस को खत्म करने के लिए सिर्फ एक ही इंसान चाहिए |
मंगल गृह पर sorry का मतलब है की मुझसे कोई गलती हुए इसलिए में माफ़ी मांग रहा हूँ लेकिन शुक्र गृह पर sorry का मतलब है की मुझे आपकी भावना की कद्र है |
इसलिए पुरुष को sorry बोलने से कतराना नहीं चाहिए बहस को खत्म करने लिए अगर वो sorry बोलेगा तो इसका मतलब ये नहीं की उसकी गलती है लेकिन उसको अपनी पत्नी की भावना की क़द्र है, और ऐसा ही महिला को भी करना चाहिए |
इस किताब से क्या सीखा
- महिला पुरुष को सिखाने की कोशिश ना करे
- पुरुष महिला को हमदर्दी दें ना की समाधान
- पुरुष rubber band है , कुछ देर के लिए जायेगा फिर खुद वापस आजायेगा
- महिला लहरों के समान कुछ देर उदास होंगी फिर सही हो जाएँगी
- दोनों की भाषा अलग है
- दोनों की भावनात्मक जरुरत अलग है
- sorry बोलकर कर बहस को खत्म करो
- छोटी छोटी चीजो में प्यार खोजो
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धन्यवाद !
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Nice information Bhai, a lots of thank.
Thanks Bhai ji